"ये रेशमी लहज़ा" परियों की कहानी है तितलियों की ज़ुबानी है। "ये रेशमी लहज़ा" परियों की कहानी है तितलियों की ज़ुबानी है।
अपनी मजबूरी को ताकत अपनी बनाती हूं अपनी मजबूरी को ताकत अपनी बनाती हूं
लिपटी रहूंगी साये से तुम्हारे या, तुझमें कहीं खो जाऊंगी । लिपटी रहूंगी साये से तुम्हारे या, तुझमें कहीं खो जाऊंगी ।
नए सपने मेरे अंदर जन्म लेते हैं, कुछ नया करने की हिम्मत जाग जाती है ये जादू है इस मौस नए सपने मेरे अंदर जन्म लेते हैं, कुछ नया करने की हिम्मत जाग जाती है ये जाद...
बसंती राग रे ! बढ़ा अनुराग चढ़ गया ख़ुमार खिला पलाश दहका मन आह लगी वन में आह। बसंती राग रे ! बढ़ा अनुराग चढ़ गया ख़ुमार खिला पलाश दहका मन आह ...
सारी उदासियों को धता बताकर मैंने भी मन ही मन ठान लिया है, मुझे भी जिंदा रहना है इसी सारी उदासियों को धता बताकर मैंने भी मन ही मन ठान लिया है, मुझे भी जिंदा रह...